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    बैल और उसके मालिक का प्यार बना चर्चा का विषय


     बैल और उसके मालिक का प्यार बना चर्चा का विषय

    सहारनपुर/उत्तर प्रदेश: आज के इस मतलबी युग में एक और जहाँ रिटायरमेंट के बाद बच्चों के अपने माँ बाप को वृद्धाश्रम में छोड़ने की घटना प्रकाश में आती रहती हैं तो वहीं जनपद सहारनपुर के नकुड ब्लॉक के गाँव रणदेवी में एक किसान के द्वारा अपने बैल के बूढ़े हो जाने पर भी उसे अपने से अलग नही किया गया है।

    किसान देवी सिंह और उनके पालतू बैल राणा का प्यार क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।किसान के राणा नामक बैल की उम्र अब लगभग 22 वर्ष हो चुकी है और वह पिछले 2 सालों से खेतों में कार्य करने के लायक नहीं रहा है।किसान देवी सिंह स्वयं अपने बैल की देखभाल करते हैं। सुबह-शाम उसे चारा खिलाना पानी पिलाने का काम वह स्वंम करते हैं। बैल भी अपने मालिक से खूब प्यार करता है-अपने मालिक को देखते ही वह उठ खड़ा होता है।यदि किसी कारण से देवी सिंह को अपने खेत पर पहुंचने में देरी हो जाती है तो राणा नामक बैल चारे-पानी को मुंह तक नही लगाता है।

    किसान देवी सिंह का कहना है कि उन्होंने यह बैल लगभग 19 वर्ष पहले एक कसाई से 500 रुपये में खरीदा था।उस समय बैल की उम्र 3 वर्ष थी।किसान देवी सिंह का कहना है कि यह बैल 22 वर्षों से लगातार उनके सुख-दुख में खड़ा है। 19 साल इस बैल ने उनके खेतों में बहुत मेहनत की है।बैल की मेहनत का ही परिणाम है कि आज उनके परिवार में खुशहाली है-दो बेटे सेना में हैं।किसान का कहना है कि जब तक बैल में जान रही तो उसने उनके खेतो में बहुत मेहनत की।लेकिन अब वह निर्बल- बूढ़ा हो गया है तो उनका फर्ज है कि अब वह उसकी अंतिम सांस तक उसकी सेवा करें।

    किसान देवी सिंह का कहना है कि राणा नामक उनका बैल एक पशु नहीं बल्कि उनके परिवार का एक सदस्य है।किसान देवी सिंह यह भी बताते हैं कि ग्रामीण उन्हें आकर कहते हैं कि अब यह बैल बूढ़ा हो चुका है-इसे या तो गौशाला में छोड़ दो या फिर किसी को बेच दो।किसान देवी सिंह मुस्कुरा कर कहते हैं कि अब ग्राम वासियों को कौन समझाए कि परिवार के सदस्यों को ना ही तो बेचा जाता है और ना ही कहीं पर छोड़ा जाता है।

    रिपोर्ट-विपिन चौधरी

    News 10 भारत

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