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    अगर कैकेयी ना होती तो.….

     

    अगर कैकेयी ना होती तो.….

    सहारनपुर: रामायण में श्रीराम का वनवास जाना सबसे भावुक दृश्यों में से एक है। यहीं से रामायण में एक नया मोड़ आता है जो वास्तव में राजा राम को मर्यादा पुरषोत्तम राम बनाता है। माना जाता है कि माता कैकेयी के कारण भगवान राम को सीता माता और लक्ष्मण के साथ बनवास भोगना पड़ा। जिसके बाद माता कैकेयी को आज समाज में सम्मान के साथ नही देखा जाता है।

    लेखक, कवि, चिंतक और विचारक एडवोकेट गौकरण दत्त शर्मा ने माता कैकेयी के खलनायिका के चरित्र को नकारते हुए उनके सकारात्मक पहलू देखने की शिफारिश की है। उनका मानना है कि अगर कैकेयी ना होती तो राम सिर्फ 'राजा राम' होते ना कि 'मर्यादा पुरुषोत्तम राम'। माता कैकेयी के कारण ही राम 'मर्यादा पुरुषोत्तम राम' बने।

     उनका मानना है कि माता कैकेयी महान विदुषी और ईश्वर भक्त थी जिसके चलते उन्हें भरत जैसी न्यायप्रिय, त्यागी और साधु व्रति सन्तान प्राप्त हुई। माता कैकेयी को पता था कि वनों में साधु,सन्यासी और तपस्वी श्रीराम की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वनों में राक्षसो के कारण कारण त्राहि-त्राहि मची हुई थी। दिनोंदिन राक्षसों का प्रभाव बढ़ता जा रहा था। ऐसे में राम का बनो को जाना परम आवश्यक था। राम बन को गए और उन्होंने बन में जाकर अनेक दुष्टों का संहार किया व धर्म की रक्षा की। 

     उनका मानना है कि अगर माता कैकेयी के कारण राम को बनवास ना होता तो विश्वविजेता अहंकारी रावण माता सीता का हरण ना करता और राम और रावण का युद्ध ना होता। श्री राम ने रावण का वध करके सीता रूपी पृथ्वी को मुक्ति दिलाई। यदि कैकेयी ना होती तो राम सदैव राजा राम ही रह जाते 'पुरषोत्तम राम' ना बन पाते। आज के समाज मे अगर देश मे एक सुंदर व्यवस्था और न्याय प्रियता की बात होती है तो मन मे केवल 'रामराज्य, की बात आती है।

    उनका मत है कि अगर कैकेयी द्वारा मांगे गए वरदान -"राम बन जा" पर चिंतन किया जाए तो अर्थ निकलता है कि- है पुत्र! बन जा और 'राम' बन जा। जिस कारण राम 'राम'बने। गौकरण दत्त शर्मा का मानना है कि कैकेयी की रामायण में एक अहम भूमिका रही है। भले ही उन्हें एक खलनायिका के रूप में देखा जाता रहा है लेकिन देखा जाए तो श्री राम को आदर्श बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है।

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