कोरोना महामारी प्रकृति का बदला है- राकेश रोहिला
कोरोना महामारी प्रकृति का बदला है- राकेश रोहिला
सहारनपुर/उत्तर प्रदेश: देशभर में कोरोना वायरस के बादल छाए हुए हैं। इस भयानक महामारी को लेकर हर तरफ डर का माहौल है। लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता और ऑक्सीजन की दर का घटना चिंता का विषय बना हुआ है।वही सरकारी तंत्र का सीमित संसाधनों से कोरोना के मरीजों का इलाज करना बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ है। भौतिकतावाद के चक्कर में आज हम प्रकृति से दूर हो चुके हैं। ऐसा लगता है कि आज प्रकृति का दोहन करने की सजा इंसान को कोरोनावायरस के रूप में मिली है। यह कहना है लोटस वैली स्कूल के प्रबंधक राकेश रोहिला का।
उनका कहना है कि आज इंसान भौतिकवाद और आधुनिकरण की दौड़ में इस कदर भागा जा रहा है कि उसे प्रकृति की कोई चिंता नहीं है। पेड़ों,नदियों और अन्य दूसरी प्राकृतिक धरोहर को नष्ट किया जा रहा है।लोगों में आ रही ऑक्सीजन की कमी हमें प्रकृति की मार की याद दिला रही है। कुछ कोरोना महामारी में देश बहुत बड़ी चिकित्सा आपदा से गुजर रहा है। हर तरफ चीख-पुकार के बीच चिकित्सा संसाधनों की कमी से लोगों की दशा दयनीय होती जा रही है। ऐसा प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने से हुआ है।
राकेश रोहिला का कहना है कि हमें प्रकृति के इस संकेत को जल्द ही समझना होगा।पेड़ नदियों,तालाबों,झीलों और अन्य प्राकृतिक उपहारों को फिर से बड़ी मात्रा में जीवित करना होगा। अपने निजी स्वार्थ के लिए प्रकृति का दोहन रोकना होगा। हमें फिर से योग,प्राणायाम और प्राकृतिक चीजों की तरफ लौटना होगा। प्रकृति के लिए अपनी संवेदनशीलता को बढ़ाना होगा। हमें यह जान लेना चाहिए कि अगर हम प्रकृति के हिस्से पर कब्जा करना चाहते हैं तो प्रकृति संतुलन बनाना जानती है और वह संतुलन बनाने के लिए ऐसी कोई आपदाओं को जन्म दे सकती है। इसलिए समय रहते प्रकृति का दोहन रोक कर पोषण देंना शुरू करे।
रिपोर्ट-अवनीश
News 10 भारत
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