पशुओं को ठंड से बचाने के लिए पशुपालक पहले से रहे सचेत: डॉ शर्मा
पशुओं को ठंड से बचाने के लिए पशुपालक पहले से रहे सचेत: डॉ शर्मा
सहारनपुर/ उत्तर प्रदेश: मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी बीएस शर्मा ने बताया कि आगामी सर्दियों में पशुओं को ठंड से बचाने के लिए पशुपालकों को खास सावधानी बरतने की जरूरत है। गौरतलब है कि ठंड लगने से पशुओं के दूध उत्पादन में तो कमी आ जाती ही है साथ ही अगर समय रहते उनका उपचार नही किया जाता तो पशुओं की मौत भी हो जाती है। उनका कहना है कि समय रहते सही जानकारी और जागरूता से पशुओं को ठंड से बचाया जा सकता हैं।
ये हैं पशुओं को ठंड लगने के लक्षण
डॉ शर्मा का कहना है कि पशुओं में ठंड लगने पर उनको जरूरत से ज्यादा छींके आने लगती है।नाक से स्राव होने लगता है साथ ही बुखार से शरीर तपा रहता है।ठंड के कारण पशुओं के फेफडों में सूजन आने और भूख ना लगने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे में पशुपालकों को चाहिए कि वे अपने नजदीकी चिकित्सक से उनका समय रहते इलाज कराएं।
ऐसे करें बचाव
1: पशुओं को रात में खुले में ना बांधे।
2: पशुओ के ऊपर अगर पक्की छत ना हो तो लकड़ी और घास-फूंस से निर्मित बाड़े में ही बांधे।
3: पशुओं को तरपाल, मोटे बोरे या किसी गर्म कपड़े से ढक कर रखें।
4 : पशुओं के नीचे की जमीन गीली ना रहे और उनके मल- मूत्र को समय-समय पर साफ करते रहे। उनके पैरों के नीचे की जमीन को सूखा रखने के लिए पशुपालक पराली,गन्ने की पत्तियों या भूसे का इस्तेमाल कर सकते हैं।
5 : पशुओं को बिल्कुल भूखा ना रखें। रात में भी उनके आहार की व्यवस्था करे।
6: हो सके तो पशुपालक उचित देखरेख में सावधनी पूर्वक पशुओ के आसपास अलाव जलाए।
7: पशुपालक समय-समय पर पशुओं को पेट के कीड़ों की दवा जरूर दें।
8: ठंड से बचाने के लिए पशुओं को गर्म पौष्टिक आहार जैसे गुड, अजवाइन और दाना जरूर दें।
9: पशुओ में ठंड के लक्षण दिखते ही पशु चिकित्सक से सम्पर्क कर उचित उपचार करवाएं।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ बीएस शर्मा का कहना है कि पशुपालकों को सर्दी के समय पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही नहीं बरतना चाहिए और पशुओं में ठंड के लक्षण दिखते ही समय रहते चिकित्सीय परामर्श और देखरेख में सुचारू रूप से इलाज कराना चाहिए। पशुओं को ठंड लगना दूध उत्पादन को प्रभावित कर सकता है इसलिए पशु पालकों को इसके प्रति सचेत रहना चाहिए।
रिपोर्ट-अवनीश
News 10 भारत

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