अंतराष्ट्रीय महिला दिवस: कविता के माध्यम से दिया संदेश
नारी-शक्ति
नारी-सम्मान
अजस्र स्रोत ममता की नारी,
नारी करुणा- सागर है।
शक्ति स्वरूपा जननी यह है-
इसका आदर आदर है।।
लक्ष्मी-सीता-गिरिजा नारी,
गार्गी कीर्ति निराली है।
मातु शारदा,स्वर की देवी,
काली सी बलशाली है।
बंद करो अब इसका शोषण-
शोषण घृणित निरादर है।।
इसका आदर...........।।
बनो न कौरव दुर्योधन तुम,
नहीं दुशासन बनो,सुनो।
रावण का मत धरो आचरण,
पाप-पुण्य का फ़र्क़ गुनो।
पथ-प्रदर्शिका जग की नारी-
पुरुष-सुरक्षा-चादर है।।
इसका आदर.............।।
सभी सोच को बदलो अपनी,
बदलो पशु-व्यवहार को।
मानव का अनुशासित जीवन,
जी के जताओ प्यार को।
स्त्री-पुरुष श्रेष्ठ कृति जग की-
सबका भाव बराबर है।।
इसका आदर............।।
पुरुष का गहना नारी होती,
नारी पुरुष-गुमान है।
एक दूसरे के हैं पूरक,
गीत-गान-मुस्कान है।
स्त्री का जो मान न रक्खे-
समझो वही निशाचर है।।
इसका आदर............।।
नव युग के निर्माण में नारी,
बनी नींव की सुदृढ़ शिला।
जीवन के हर क्षेत्र में इसकी,
अद्भुत निखरी है प्रतिभा।
जल में,थल में,नभ में अब तो-
नारी-शक्ति समादर है।।
इसका आदर आदर है।।
नारी देती जन्म सभी को,
प्रथम बोल की जननी है।
सेवा किया यही त्रिदेव की,
दक्ष प्रबंधक घरनी है।
वक्त पड़ा तलवार उठाया-
नारी वंद्य चराचर है।।
इसका आदर आदर है।।
आशा त्रिपाठी

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