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    दिलों को जोड़ने का नाम है मानव एकता- सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज

                      

    दिलों को जोड़ने का नाम है मानव एकता- सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज 

    सहारनपुर/उत्तर प्रदेश: "दिलों को जोड़ने का नाम है मानव एकता और यह सम्भव होता है परमात्मा के बोध से। परमात्मा की जानकारी होते ही पता चल जाता है कि हम सब एक हैं।’’ ये उद्गार निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने वर्चुअल रूप में आयोजित मानव एकता दिवस पर सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। 

    संत निरंकारी मिशन के बाबा गुरबचन सिंह जी को 24 अप्रैल, 1980 के दिन संसार में मानव एकता, अमन, चैन का वातावरण स्थापित करते हुए सत्य की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी थी। उनके तप-त्याग से परिपूर्ण जीवन एवं शिक्षाओं से प्रेरणा लेने के लिए संत निरंकारी मिशन की ओर से यह दिन ‘मानव एकता दिवस’ के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस वर्ष वर्चुअल रूप में आयोजित मानव एकता समागम का लाभ पूरे विश्व में फैले लाखों निरंकारी भक्तों ने मिशन की वेबसाईट के माध्यम से प्राप्त किया। 

    शाखा संयोजक हरबंस लाल जुनेजा ने बताया कि 24 अप्रैल 1981 में प्रथम मानव एकता दिवस संत समागम सहारनपुर  के रीमाउंट डिपो ग्राउंड में आयोजित किया गया था जिसमें देश के कोने कोने से श्रद्धालु भक्त पहुंचे थे निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने अपने उद्गार में श्रद्धालुओं को संबोधित किया था आज निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी ने आगे कहा कि आत्मा और परमात्मा का जब मिलन हो जाता है तो मानव-मानव के बीच में जाति-पाति, ऊँच-नीच जैसा कोई फर्क़ नज़र नही आता बल्कि हर किसी की सेवा एवं मदद करने का भाव पैदा होता है। इसका व्यवहारिक रूप पिछले एक वर्ष से दिख रहा है कि कोरोना महामारी के संकट के दौरान मिशन के श्रद्धालु भक्तों ने विभिन्न रूपों में लगातार मानवता की सेवा में अपना योगदान दिया है। 

    बाबा गुरबचन सिंह जी ने एक ओर जहाँ सत्य के बोध द्वारा मानव जीवन को सभी प्रकार के भ्रमों से मुक्त करने का प्रयत्न कियाय वहीं दूसरी ओर नशाबंदी एवं सादा शादियाँ जैसे समाज सुधारों की नींव रखी। उन्होनें मिशन के सन्देश को केवल भारतवर्ष में ही नहीं अपितु विदेशों में भी पहुँचाया। जिसके परिणामस्वरूप आज विश्वभर के 60 से भी अधिक देशों में मिशन की सैंकड़ों ब्राँचे स्थापित हो चुकी हैं जो सत्य, प्रेम एवं मानवता का संदेश जन-जन तक पहुँचा रही हैं। बाबा गुरबचन सिंह जी ने युवाओं की ऊर्जा को नया आयाम देने के लिए उन्हें सदैव ही खेलों के लिए प्रेरित किया ताकि उनकी ऊर्जा को उपयुक्त दिशा देकर; देश एवं समाज का सुंदर निर्माण किया जा सके।

    रिपोर्ट-अवनीश

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