स्वस्थ रहना है तो प्रकृति की ओर लौटना ही होगा- प्रवीण फौजी
स्वस्थ रहना है तो प्रकृति की ओर लौटना ही होगा- प्रवीण फौजी
सरसावा/उत्तर प्रदेश: कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते ऑक्सिजन की कमी ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया। ये वो वक्त था जब हर तरफ ऑक्सीजन को लेकर मारामारी मची थी। ऑक्सीजन लेबल को बढ़ाने के लिए पीपल के पेड़ का सहारा लेने की खबरें भी सोशल मीडिया पर छायी रही। और तब लोगों को फिर से पेड़-पौधों के महत्व का पता चला। प्रकृति से साथ छेड़छाड़ का नतीजा भयानक महामारी के रूप में देखने को मिला। ऐसे में फिर से जरूरत है प्रकृति की ओर लौटने की। प्रवीण फौजी ने इस विषय पर गहरी चिंता जताई है।
कोरोना महामारी प्रकृति से साथ छेड़छाड़ का नतीजा
सरसावा के निकटवर्ती गांव असदपुर निवासी भारतीय सेना से सेवानिवृत्त सैनिक प्रवीण फौजी का मानना है कि आज भौतिकतावाद और आधुनिकरण की अंधी दौड़ में मनुष्य ने प्रकृति को काफी नुकसान पहुंचाया है। जंगलों और नदियों को काट कर भूमि को बंजर बना दिया है। स्वार्थवश मनुष्य ने पेड़-पौधों को कुचलकर फैक्ट्रियां खड़ी कर दी जिसकी वजह से फैलते प्रदूषण से जीना दूभर हो चला है। जिससे कई तरह के संक्रमण और महामारी फैल रही हैं। कोरोना वायरस प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का ही नतीजा है।
ज्यादा से ज्यादा करें वृक्षारोपण
प्रवीण फौजी का कहना है कि अभी भी बहुत देर नहीं हुई है। हमें प्रकृति की ओर लौटना होगा जिससे जीवन को सुरक्षित किया जा सकता है। हाल ही में कोरोना संक्रमण के प्रकोप से कम हुई प्रतिरोधक क्षमता को एसी रूम में बैठकर नहीं बल्कि प्रकृति का साथ करने से बढ़ाया जा सकती है। ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने में सहायक पीपल, बरगद, और नीम जैसे अन्य पेड़ लगाया जाना चाहिए। अपने आसपास बड़ी मात्रा में वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए प्रकृति का संग करना जरूरी है।
जनंसख्या नियंत्रण से हालात हो सकते हैं काबू
उनका कहना है कि बढ़ती जनसंख्या भी प्रकृति के दोहन का एक बहुत बड़ा कारण है। बढ़ती आबादी के चलते पेड़ों को काटकर आबादी क्षेत्रों का निर्माण किया जा रहा है।अगर जनसंख्या पर नियंत्रण कर लिया जाए तो स्थिति को और बदतर होने से रोका जा सकता है। जनसंख्या पर नियंत्रण करने से बढ़ती बेरोजगारी और गरीबों को भी रोका जा सकता है जिससे प्रकृति के संरक्षण में भी मदद मिल सकेगी। अगर कोरोना महामारी जैसी खतरनाक आपदा से बचना है तो हमें प्रकृति की ओर लौटना ही होगा और इसे बचाने के लिए यथासंभव प्रयास करने होंगे।
रिपोर्ट-अवनीश
News 10 भारत
...खबर भारत की




कोई टिप्पणी नहीं